मंदसौर। भाजपा शासित नगर पालिका एक बार फिर से कर्मचारी विरोधी साबित हुई है। पिछले 29 दिसंबर को नगर पालिका में कार्यरत विनियमित कर्मचारी श्री बाबुलाल घारू नपा भवन मे ही सीढियो से गिर जाने के कारण घायल हो गये थे जिनका इलाज परिवार ने बिना किसी नपा प्रशासन और जनप्रतिधियो के सहयोग से करवाने के बावजुद 18 फरवरी को असमय ही मृत्यु के शिकार हो गये। इस बीच पुरा परिवार नपाध्यक्ष से लेकर विधायक तक फरियाद करता रहा किन्तु उसके बाद भी मदद के लिये कोई ठोस प्रयास नही हुये जिससे नपा प्रशासन और विधायक का गैर मानवता वादी रवैया जगजाहीर होता है।
यह बात अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ टेªड यूनियन के राष्ट्रीय सचिव एवं जिला कांग्रेस अजा विभाग अध्यक्ष श्री संदीप सलोद ने कही। उन्होनें कहा कि नगर पालिका कर्मचारी एवं भाजपा पार्षदो दोनो के लिये नपा प्रशासन का रवैया बिल्कूल अलग है। जब 29 दिसंबर को श्री बाबुलाल घारू हादसे में घायल हुये तो नपाध्यक्ष प्रतिनिधि एवं सीएमओं ने विनियमित कर्मचारियो के लिये कोई मदद का प्रावधान नही होने संबंधी नियमो का हवाला देकर स्वयं कुछ रूपये देकर मामले से पल्ला झाड लिया जबकी कुछ वर्ष पूर्व भाजपा से निर्वाचित पार्षद स्वर्गीय प्रभुलाल ग्वाला की किडनी की बीमारी के इलाज के लिये न केवल तत्कालिन नपाध्यक्ष ने सहयोग किया बल्कि थोडा-थोडा वेतन पाने वाले संविदा कर्मचारियो से भी एक दिन का वेतन काटकर कुल लगभग ढाई लाख रूपये की मदद की। यह दोनो प्रकरण साफ करते है कि भाजपा ने सदैव भेदभावपूर्ण तरिके से कार्य किया है जिसके कारण श्री बाबुलाल घारू की जान गयी, इस पुरे प्रकरण से वाल्मिकी समाज मे गहरा रोष है।
श्री सलोद ने कहा कि मंदसौर विधायक द्वारा पीडित परिवार के लिये दो लाख रूपये की मदद हेतु मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से दिलवाने का वादा किया लेकिन वो मदद भी नही मिल पायी। पिछले दिनों कर्मचारी के जीवित रहते पीडित परिवार ने विकास यात्रा रोककर अपनी व्यथा भी बतायी किन्तु फिर भी राहत राशि नही मिल सकी। नपा के लिये अपना पुरा जीवन देने वाले पीडित कर्मचारी और उसके परिवार के प्रति जो रवैया विधायक और नपाध्यक्ष द्वारा अपनाया गया उससे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की संविदा कर्मचारियो के लिये की गयी घोषणाओ पर गहरा प्रश्न चिन्ह खडा होता है।
श्री सलोद ने इस पुरे मामले को पीडित परिवार के माध्यम से न्यायालय में चुनौती देने की बात कहते हुये कहा कि मंदसौर नपा में लगभग छः सौ संविदा या विनियमित कर्मचारी है, इतनी बडी संख्या के बावजुद उनकी सुरक्षा के लिये कोई प्रबंध नही है जिसके लिये आगामी दिनो में संघर्ष किया जायेगा।
